सिद्धमुख नहर विवाद, Sidhmukh Canal Dispute,

राजीव गांधी सिद्धमुख–नोहर 

नहर सिंचाई विवाद।



23 साल के बाद भी पानी की किल्लत।

"एक किसान के हालात और उसकी मजबूरी, किसान ही समझ सकता हैं ना कि  ऊंचे वर्ग के लोग"


 यह बात हकीकत होती दिखाई देती है सिद्धमुख के क्षेत्र में जहां पानी को लेकर 23 साल से समस्या एक आम बात हो गई है।


अपने ही क्षेत्र यानी सिद्धमुख नोहर में सबसे बड़ा विवाद का कारण है यह सिंचाई परियोजना जो अपने शुरुआत से लेकर अब तक कागजों में तो पूरी तरह दिखाई देती है लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है।


भाखड़ा नांगल जैसी एक विशाल परियोजना से निकाली गई एक शाखा है जो चुरू जिले के सिद्धमुख  क्षेत्र से गुजरती हैं दरअसल यह इस क्षेत्र में एक विवाद का कारण बनी हुई है मामला यह है कि नोहर और भादरा के क्षेत्र में तो इससे सिंचाई भरपूर मात्रा में होती है लेकिन सिद्धमुख  का क्षेत्र इससे सूखा दिखाई देता है।


विस्तार।

यह परियोजना राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की नोहर, भादरा तहसील में और  चुरू जिले की राजगढ़ तहसील की भूमि  पर सिंचाई करने के लिए तैयार की गई थी।


शिलान्यास?

इस परियोजना का शिलान्यास 1989 ईस्वी में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गांधी जी द्वारा और लोकार्पण साल 2002 में लोकसभा प्रतिपक्ष नेता सोनिया गांधी जी के जरिए भिरानी गांव में किया गया।


रतनपुर वितरिका।

यह वितरिका भी सिद्धमुख  नोहर परियोजना का एक हिस्सा है जिससे राज्य के चूरू और हनुमानगढ़ जिलों के 18350 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई होगी।


1998 में रुकावट।

साल 1998 में पोखरण के परमाणु विस्फोटों के बाद यूरोपीय आर्थिक समुदायों की सहायता पर रोक लगने से यह परियोजना नाबार्ड की मदद से साल 1999 में दोबारा शुरू की गई।


नहर को लेकर विवाद ।

सिद्धमुख नोहर परियोजना के अंतर्गत बनी हुई है नहर अभी भी इस क्षेत्र में विवाद का कारण इसलिए भी बनी हुई है कि नोहर और भादरा के क्षेत्र में तो पानी की पूर्ति हो रही है लेकिन सिद्धमुख  के क्षेत्र को सुखा रख दिया गया है

पानी चोरी ।

दरअसल मामला यह है कि पानी माफिया ने बीच बीच में पाइपलाइन बिछा बिछाकर और मैन स्ट्रीम में से पानी को चोरी करना शुरू कर दिया और यहां तक की कई अवैध डिग्गी और कुआं बनाकर उसमें पानी को जमा और फीड में उसका सीधा  प्रयोग करना भी शुरू कर दिया।


हरियाणा तक अवैध सप्लाई ?

पानी माफिया ने अंडरग्राउंड पाइपलाइन सिस्टम के जरिए से हरियाणा के क्षेत्र में भी इससे अवैध सप्लाई करना शुरू कर दी। और जिन किसानों को पानी की जरूरत थी उनको 1000 या ₹1500 प्रति घंटे की दर पर सप्लाई देना शुरू कर दिया।


बड़ी डिग्गी अवैध पाइप कनेक्शन।

अधिकारियों की लापरवाही माने या फिर पानी माफियाओं का जोर  लेकिन बड़ी-बड़ी डिग्गी और अवैध पाइप कनेक्शन की वजह से नहर में पानी बहुत कम रहने लगा और जिसकी वजह से सिद्धमुख  का क्षेत्र बिल्कुल ही सूखा रहा।


सिद्धमुख  के 14 गांव प्रभावित।

भादरा के क्षेत्र में लगातार चोरियों की वजह से और नहर में पानी न होने की वजह से सिद्धमुख के 14 गांव इससे बुरी तरह से प्रभावित रहे हैं। ऊपर दिए गए कारणों की वजह से सिद्धमुख के इस क्षेत्र को कभी पानी पूरी तरह से नसीब हुआ ही नहीं यहां पर सिंचाई के पानी की बड़ी किल्लत है।


सिद्धमुख  नहर संघर्ष समिति।

यह एक क्षेत्रीय समिति है जिसने सिद्धमुख  नहर के पानी के लिए कई बार महीनो तक आंदोलन किया और उनके पीछे 22 गांव ने इसका समर्थन भी किया। लेकिन पानी की मांग की पूर्ति नहीं हुई।


धरना प्रदर्शन ।

इस मामले को लेकर कई बार सिद्धमुख  के क्षेत्र में धरना प्रदर्शन भी किया जा चुका है प्रशासन को बार-बार इससे आगाह भी कर दिया गया लेकिन कोई भी ठोस प्रभावी कदम अभी तक नहीं उठाए गए हैं।


कहीं अनकही बातें

असल बात यह है चाहे धरना प्रदर्शन हो या किसी को ज्ञापन सौंपना, बयान बाजी हो या लोगों के बीच में अफवाहें तरह-तरह की बातों के बीच में एक बात का सच कभी नहीं छुपाया जा सकता कि सिद्धमुख का यह क्षेत्र आज भी पानी की किल्लत से बहुत ज्यादा जूझ रहा है। कहने को तो पानी कहीं कहीं पहुंच रहा होगा लेकिन सच यही है के यहां के किसानों की दिक्कतें अभी भी बनी हुई हैं।


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