★ वक्फ़ संशोधन विधेयक 2024★
#किस तारीख को पेश हुआ ?
#पहले किस सदन में पेश हुआ?
भारत की लोकसभा मे यह विधेयक पहले पेश हुआ।
#क्या है इसमें ?
विधेयक में 1923 के मुस्लिम वक्फ़ अधिनियम को रद्द करने और 1995 के वक्फ अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्ताव रखा गया है ।
#अधिनियम में क्या है ?
वक्फ की धरोहर इस अधिनियम के तहत शासित होती है, जिसमे वक्फ़ को धार्मिक या हितकारी मकसदों के लिए मुस्लिम के कानून के अनुसार दान में दी गई या संपत्ति (जो अचल है )के रूप में बताया गया है।
#प्रबंधन:
वक्फ को मैनेज करने के लिए हर स्टेट में वक्फ बोर्ड का गठन किया जाता रहा है। विधेयक में पुराने कानूनों में 44 संशोधन लाने और संशोधित कानून को 'समेकित वक्फ़ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995' नाम देने का प्रस्ताव है।
#कानून के हिसाब से वक्फ़ किया जा सकता है:
(1) घोषणा के ज़रिए।
(2) लंबे समय तक इस्तेमाल करने के आधार पर मान्यता (इस्तेमाल करने वाले की तरफ से)
(3) उत्तराधिकारी की गैर मौजूदगी में दान करना (वक्फ़-अलल -औलाद)। विधेयक में कहा गया है कि बस वही व्यक्ति वक्फ़ की घोषणा कर सकता है जिसने पांच साल तक इस्लाम धर्म का पालन किया हो। इसमें कहा गया है कि घोषणाकर्ता, संपत्ति का मालिक होना चाहिए। यह उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ को वैध नहीं करता है और वक्फ़-अलल-औलाद सिर्फ तभी होगा जब दाता के उत्तराधिकारियों, विशेष रूप से महिलाओं को विरासत से वंचित नहीं किया जाता है।
#वक्फ़ के रूप में सरकारी संपत्ति:
विधेयक के अनुसार, वक्फ़ की शक्ल में पहचानी गई सरकारी संपत्ति को वक्फ़ के रूप में नहीं माना जाएगा।Area के कलेक्टर स्वामित्व का निर्धारण करेंगे और अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेंगे। सरकारी संपत्ति होने पर राजस्व रिकार्ड दर्ज किया जायेगा।
#संपत्ति वक्फ़ है या नहीं यह तय करने की ताकत:
ये अधिनियम वक्फ़ बोर्ड को यह तय करने का अधिकार देता है कि संपत्ति वक्फ़ है या नहीं। विधेयक में इस प्रावधान में संशोधन का प्रस्ताव है।
#वक्फ़ का सर्वेक्षण:
कानून के हिसाब से वक्फ़ का सर्वेक्षण करने के लिए सर्वेक्षण आयुक्त और अन्य आयुक्तों की नियुक्ति का प्रावधान है। प्रस्तावित विधेयक के अनुसार कलेक्टर सर्वेक्षण का प्रभारी होगा और चल रहे सर्वेक्षण राज्य राजस्व कानून के According ही पूरा किया जाएगा।
#सेंट्रल वक्फ़ काउंसिल:
सेंट्रल वक्फ़ काउंसिल का गठन कानून द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों और वक्फ़ बोर्ड को सलाह देने के लिए किया जाता है। इस परिषद का अध्यक्ष केन्द्रीय वक्फ़ मंत्री का संरक्षक पद होता है। कानून के अनुसार, परिषद के सभी सदस्यों को मुस्लिम होना चाहिए और कम से कम दो महिला सदस्य होनी चाहिए। विधेयक में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों और सांसदों, पूर्व न्यायाधीशों और गणमान्य व्यक्तियों को परिषद में सेवा देने का प्रस्ताव है, भले ही वे मुस्लिम न हों।
मुस्लिम सदस्यों में:
(1) मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि,
(2) इस्लामी कानून के विद्वान ( मुफ़्ती ), और
(3) वक्फ़ बोर्ड का अध्यक्ष मुस्लिम होना चाहिए। मुस्लिम सदस्यों में कम से कम दो औरतें होनी चाहिए।
#वक्फ़ बोर्ड:
अधिनियम राज्य के संसद सदस्यों, विधायकों और बार काउंसिल के सदस्यों में से दो सदस्यों के चुनाव का प्रावधान करता है। इसके बजाय विधेयक राज्य सरकार को इन बैकग्राउंड से एक-एक सदस्य नियुक्त करने का अधिकार देता है, भले ही वे मुस्लिम न हों।
बोर्ड में:
(1) दो गैर-मुस्लिम सदस्य,
(2) शिया, सुन्नी और मुस्लिम पिछड़े वर्गों से कम से कम एक सदस्य होगा। यदि बोहरा और आगाखानी समुदायों के पास राज्य में वक्फ़ है, तो उनके पास एक-एक सदस्य होना चाहिए। आईन के अनुसार , बोर्ड में अंतत दो महिला सदस्य होनी चाहिए। विधेयक में प्रावधान है कि बोर्ड में दो मुस्लिम सदस्य महिलाएं होनी चाहिए।
#ट्राइब्यूनल के गठन की रूपरेखा:
अधिनियम में राज्यों को वक्फ़ विवादों के निपटारे के लिए ट्राइब्यूनल का गठन करने की आवश्यकता है। ट्रिब्यूनल का अध्यक्ष वर्ग-I, जिला, सेशन या सिविल जज के समकक्ष रैंक का विचारक होगा।
अन्य सदस्यों में:
(1) राज्य अधिकारियों के बराबर अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट,
(2) मुस्लिम कानून और न्यायशास्त्र का ज्ञान रखने वाले व्यक्ति। विधेयक में दूसरे सदस्य के स्थान पर एक वर्तमान या पूर्व जिला न्यायालय न्यायाधीश और एक वर्तमान या पूर्व राज्य सरकार के संयुक्त सचिव रैंक के अधिकारी को नियुक्त करने का प्रस्ताव है।
#ट्राइब्यूनल के आदेश के खिलाफ अपील:
कानून के अनुसार, ट्राइब्यूनल का निर्णय अंतिम होता है और उसके फैसले के खिलाफ अदालत में अपील करना प्रतिबंधित है। बोर्ड के आवेदन पर या पीड़ित पक्ष के आवेदन पर उच्च न्यायालय इस मामले पर स्वयं विचार कर सकता है। विधेयक में इस प्रावधान को हटा दिया गया है कि ट्राइब्यूनल के फैसले को अंतिम माना जाएगा और ट्राइब्यूनल के आदेश के खिलाफ 90 दिनों के अंदर ऊपरी अदालत में अपील की जा सकती है।
#केंद्र सरकार की शक्तियाँ:
विधेयक केंद्र सरकार को वक्फ़ के पंजीकरण, खातों के प्रकाशन, और वक्फ़ बोर्ड की कार्यवाही के प्रकाशन के संबंध में नियम बनाने का अधिकार देता है। कानून के मुताबिक राज्य सरकार किसी भी वक्त वक्फ़ खातों का निगरानी कर सकती है. विधेयक केंद्र सरकार को सि.ए.जी या नामित अधिकारी के माध्यम से इन खातों का ऑडिट करने का अधिकार देता है।
#बोहरा और आगाखानी वक्फ बोर्ड:
यदि राज्य में सभी वक्फ संपत्तियों या वक्फ़ आय में शिया वक्फ़ की हिस्सेदारी 15% से अधिक है तो अधिनियम अलग वक्फ़ बोर्ड के गठन की अनुमति देता है। विधेयक आगाखानी और बोहरा समुदायों के लिए अलग वक्फ़ बोर्ड की स्थापना की भी अनुमति देता है।
#वक्फ़ संशोधन विधेयक, 2024
की समीक्षा के लिए 31-सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया गया है।समिति में लोकसभा के 21 सदस्य और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल हैं। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने 9 अगस्त 2024 को समिति के गठन की घोषणा की।
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